नेता
पढ़ाई पसंद न थी, लफंगई पसंद थी।
वह घूमता फिरता था, नंगई पसंद थी।।
यूं उम्र बढ़ते बढ़ते, आवारा हो गया।
जब लोकतंत्र आया, सबका प्यारा हो गया।।
अब भाई है किसी का, सबका बेटा बन गया।
यह देश पागलों का, उनका नेता बन गया।।
अच्छे पढ़े लिखो का, अब बाप बन गया है।
मां भारती के मुकुट का, अभिशाप बन गया है।।