नेता
कुण्डलिया
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मुखिया जी का चल रहा, बढ़िया कारोबार।
नेता बनकर घूमते, सबके बन सरदार।
सबके बन सरदार, सभी पर धौंस जमाते।
लड़ते कभी चुनाव, भाग्य स्वयं आजमाते।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, चल रहा सब कुछ बढ़िया।
लिए कुटिल मुस्कान, मस्त है सबके मुखिया।
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अगुआ बनकर घूमते, खूब उड़ाते मौज।
आगे पीछे हर जगह, है चमचों की फौज।
है चमचों की फौज, मस्त मन हैं नेताजी।
लड़ते कभी चुनाव, मार लेते हैं बाजी।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, चलाते रहते चक्कर।
उठापटक के साथ, घूमते अगुआ बनकर।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०७/०५/२०२४