नेता बरसाती
बरसाती मेंढक बने, नेता सारे आज।
सर पर चढ़ा चुनाव तो, लगा रहे आवाज।
लगा रहे आवाज, करें सब झूठे वादे।
कब रखते ये लोग, कभी भी नेक इरादे।
कहें सूर्य कविराय, बचाकर रखना थाती।
हिंदू-मुस्लिम रोज, करें नेता बरसाती।
सन्तोष कुमार विश्वकर्मा ‘सूर्य’