नेता जी को चढ़ा बुखार क्यूंकि चुनाव पड़े है अबकी बार
नेता जी को चढ़ा बुखार
क्यूंकि चुनाव पड़े है अबकी बार
गड़े मुद्दे नेता जी ने दिये उखाड़
हिन्दू मुस्लिम जात – पात का मुदा
नेता जी ने दिया उतार
याद आया जनता का द्वार
पिछले मुद्दे हुए दरकिनार
बेशर्म बने फिर अबकी बार
5 साल के शासन में किया खूब भ्रष्टाचार
इंसानों को दिया शूली में दिया उतार
वोट बैंक किया तैयार
झूठे वादों की करी भरमार
बाबाओं से करी गुहार
चार दिन की चाँदनी में ईद समझ
गरीबों की थाली में खाना परोसा मेरे यार
चुनाव के दिनों में याद आया जनता का द्वार
क्या इन्हें भूलने की बीमारी है मेरे यार ?
चुनावी मेंढक है क्या ये यार ?
पांच साल चोरी कर खड़े हो जाते चुनाव में हर बार
हाथ फैलाये खड़े हो जाते जनता के द्वार
ऐसे ही चलता नेताओं का व्यपार
भ्रष्टाचार से लिप्त इनकी कुर्सी है यार
सत्ता के लोभी,चुनावी मेंढक याए है द्वार
भोली जनता जरा करो विचार
भूपेंद्र रावत
9/03/2017