नेता जी कुछ तो खयाल करो !
नेता जी कुछ तो खयाल करो !
नेता जी कुछ तो खयाल करो,
सही गलत का थोड़ा मलाल करो।
तुम गांव हमारे जब आए थे,
सपने कितने हमको दिखाए थे।
बिजली का भी तुम्हारा वादा था,
लिबाज़ भी तुम्हारा सदा था।
बोले थे तुम अच्छे दिन आयेंगे,
किसान कर्ज मुक्त हो जाएंगे।
ईंधन का भी दाम घटेगा,
कर पहले से कम लगेगा।
महंगाई का नाम न होगा,
करप्शन वाला काम न होगा।
रोजगार के अवसर होंगे,
सबके पास अपने घर होंगे।
विदेशों से कला धन मंगवाएंगे,
गरीबों में उसको बटवाएंगे।
रुपए का भी मान बढ़ेगा,
देश का भी सम्मान बढ़ेगा।
अर्थव्यवस्था में सुधार होगा,
नहीं किसी का उधार होगा।
देखो तुम्ही क्या हाल हुआ,
जीना भी हमारा मुहाल हुआ।
कुछ कहने में भी डर लगता है,
चाबुक तुम्हारा ऐसा चलता है।
महंगाई से कमर टूट रही,
आस तुमसे अब छूट रही।
खुद से थोड़ा तुम सवाल करो,
नेता जी कुछ तो खयाल करो।