*नेक है जो आज भी *
नेक है जो आज भी, वो ख़ाक छानता है ।
तरेरता है आँख जो , वो पाग छानता है ।।
हैं सत्यता की रेखियां , विसवास कीजिये
वे ना जाने आपको , पर वो तो जानता है।।
नेक——————————————–।1।
उड़ रहे हों गिद्ध जैसे , नील गगन में ।
घुल गया हो जहर , हर दिल के चमन में।।
हैं सत्यता की रेखियां ,विसवास कीजिये।
वे ना जाने आपको ,पर वो तो जानता है।।
नेक——————————————–।2।
माना जिसे अपना , वही दिल चीरता है ।
स्वार्थ की गहराइयों में ,यह कैसी वीरता है।।
लांघ बैठा हद आज , वेहद है आदमी
की दुश्मनी और दोसती, गद्दार जानता है ।।
नेक——————————————-।3।
जिंदगी के नाम पे ,जो वरवाद हो गया ।
आज उसका नसीव भी,गहरी नींद सो गया ।।
है कौन शख़्स अब् जिसे ,हम अपना भी कहें ।
जो हथेलियों के दर्द की, कराह जानता है ।
नेक——————————————-।4।
दिन रात कात तांत जो , है नग्न रह गया ।
रेत सा मकान वो,और थान बान ढह गया ।।
जींर्ण शीरण चीथड़ों की ,है पुकार चहकती।
की शर्दियों की कँपकँपी , अलाव जानता है ।।
नेक ——————————————–।5।
हजार हैं वो लोग जो, पीते ज़ाम झूट का ।
बक़्त है समीप अब् ,ये पैगाम घूंट का ।।
आवाज गूंज शंख सी , ये आज आ रही ।
सच्चाइयों के वखान को,आइना जानता है।।
नेक———————————————-।६।
बैठा है कँगूर पे जो, वो शांन देखता है।
पड़ा जो जमीन पे , वो जान देखता है।।
है भंग के विरंग को है , वो जाने रागिनी।
है बेहाल के हाल को ,बेहाल जानता है ।
नेक——————————————–।7।