बाल नृत्य नाटिका : कृष्ण और राधा
दृश्य
बाल कृष्ण अपने सखाओं के संग और राधिका मार्ग में गोपियों के संग
छम-छम, छम-छम बाजे पायल,राधा के संग आये श्यामल
पीछे सारे गोपी गण हैं , बने प्रतीक्षित बृन्दावन है …………..
राधा उवाच : चोरी की तो आदत तोहे,रोज ही मैया बांधत तोहे
सारी गैयाँ राह निहारे, कान्हा तू अब, जा-रे. जा- रे …………
कृष्णा उवाच : जाऊं कैसे गोरी तोहरे बिन, गाये बंसुरिया न देवत धुन
नीला पानी तोहे बुलावे, कादम्ब की तू भाषा सुन…………
राधा उवाच : कहे कान्हा तू ऐसे छेड़े, माखन के तू मटके फोड़े
आज नहीं मैं तुम संग खेलूं, पल भर में मोहे जाना मन है ……..
कृष्णा उवाच : सुन ओ राधिके मन बतियाँ, हम संग खेलत तेरी सखियाँ
एक कन्हैया तुमको ध्यावे, एक राधिका ही मन को भावे
राधा उवाच : सुन ओ नटवर न मैं रीझूं, न ही हृदय के भाव कुरेंदु
लैके सबरौ सांचो माखन, जाना मोहे नन्द अंगन है ……..
कृष्णा उवाच : ठीक राधिके तो मैं लौटूं ,प्रेम के पट को काहे खोलूं
तुम हो गोरी कृष्णा मैं हूँ, काहे कुञ्ज में तुम संग खेलूं …….
राधा उवाच : रूठे काहे नन्द किशोर, छेड़े काहे कुञ्ज के भोर
काहे तू होवत मन व्याकुल, तन में तेरे मेरा मन है ……….
परिणति
मेरे मन भी एक किशन है ,तू ही कान्हा मेरा मन है
तन में तेरे मेरा मन है, मेरे मन भी एक किशन है…..
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