नूर
बिजली सी गिराई क्यूँ तुमने
इन शोख नज़र से इशारों की ,
कभी नज़र न लग जाए यूँ ही
इस ज़मीं को चाँद सितारों की,
कहीं बहक न जाऊं मस्ती में
महफ़िल में पुराने यारों की ,
यादों से महका दिल का चमन
हो फिक्र किसे फिर बहारों की ,
तुम नूर सी बसी निगाहों में
फिर कमी हो कैसे नज़ारों की ,
धड़कोगी जब तक धड़कन में
चाहत नहीं किसी सहारे की ,