नूपुर और मिलाड
वाह मिलाड वाह आप भी अजब हैं,
नाम से तो सूर्यकांत पर करनामे गजब हैं।
बने आप मिलाड पर ज्ञान का अभाव हैं,
जिहादियों के खौफ का क्या आप पर प्रभाव हैं?
बोलने से पहले जरा सोचकर तो बोलते,
माफी मांगे बस नूपुर यह तो ना बोलते।
कायर तो आप भी लगते हैं दूर से,
लगता हैं आपकी नज़दीकियां हो हूर से।।
रोज वह बोलते हैं हमारे हर इष्ट पर,
मुँह में दही जमाए बैठते तब सीट पर।
आपका तो पद भी और आपका तो कद भी,
सबसे अनोखा और सबसे अलग हैं।।
देश का ये संविधान घुटने ना टेक दे,
शरिया के सामने ये मत्था ना टेक दे।
आपकी जवाबदेही सबसे अलग हैं,
आपके कहे हर शब्द सबसे अलग हैं।।
आपके कहे शब्द हौसला भी देते हैं,
हौसला वे देते किसे ये आप पर निर्भर हैं।
उनसे तो कम अब खतरा आपसे ही लगता हैं,
जिम्मेदारियों से मुँह फेरना आपका भी लगता हैं।।
देखलो नजर उठाकर बयान कैसे आ रहे?
बयान वीर चिल्लाकर सही आपको बता रहे।
शर्म करो नाम की तो, नाम को लजा रहे,
दिनकर के तेज को दिन में ही बुझा रहे।।
न्याय की मूर्ति अब न्याय को भूला रहे,
अन्याय की तरफ वो चुपके से जा रहे।
दिनकर को ग्रहण का ग्रास लग गया हैं क्या?
जो दोस्ताना जिहादियों से ऐसे निभा रहे।।
क्या कहा हैं गलत उसने सही आप बात भी दो?
माफी खुले आम मंगा भी हम देंगे फिर।
क्या तुम्हें पता नहीं क्या सही क्या गलत?
मिलाड थोड़ा आप भी सोच करके बोलते।।
आप ही उम्मीद हो आप ही आधार हो,
आप मेरे भारत का अंतिम किरदार हो।
समरसता का हैं भाव केवल, कायर ना समझ लेना,
शक्ति के हैं प्रतीक केवल, नपुंसक ना समझ लेना।।
हुंकार जो भरी हमने संपूर्ण जग प्रभावित होगा,
अरब क्या और खरब क्या औकात में फिर सब होगा?
मान्यवर न्यायाधीश तोल कर तो बोलते,
उनसे यदि डर हैं तो खुलकर तो बोलते।।
ललकार भारद्वाज