“”””””***नूतन वर्ष मनाए***”””””””‘
*****नूतन वर्ष मनाए*****
हम सब मिलकर ,चले संग संग ।
ऐसा भाव जगाए ।
ऊंच-नीच और जाति धर्म का ।
मिलकर भेद मिटाएं।।
गीत यह मंगल गाएं, नूतन वर्ष मनाए ।।
(१)ईश्वर की सत्ता से हमने ,मानव जीवन पाया ।
दीन हीन और निर्बल जन को, फिर काहे को भुलाया।
उनकी सेवा में भी अपना।
तनिक सा अर्क मिलाएं।।
गीत यह मंगल गाएं, नूतन वर्ष मनाए।।
(२) धन दौलत का भरा खजाना, मानवता से कहां बड़ा।
मन दर्पण को साफ करें हम, अहंकार जिसमें है जड़ा ।
धरती के हर आंगन में हम ।
खुशियों के फूल खिलाए ।।
गीत यह मंगल गाएं ,नूतन वर्ष मनाए ।।
(३)ना कोई शत्रु अपना जगत में ,सबकी एक सी धड़कन ।
भला बुरा क्यों माने किसी को, काहे बढ़ाए उलझन।
हमको याद रखें यह दुनिया।
ऐसे पदचिन्ह बनाएं।।
गीत यह मंगल गाएं ,नूतन वर्ष मनाए।।
राजेश व्यास अनुनय
**समस्त पाठक बंधु ,भगिनी को आगामी नववर्ष की शत-शत शुभकामनाएं**!—— अनुनय