“नुमाइश”
“नुमाइश”
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नुमाइश इतनी ना हो कि हकीकत ही बदल जाए ।
आते-जाते, अपने पराए सबके दिल से उतर जाए।
नक़ाब चेहरे का जिस दिन उतारने को मजबूर होंगे,
उस दिन दुनिया के सामने हकीकत ना बिगड़ जाए।।
( पूर्णतः स्वरचित, सुरक्षित एवं मौलिक )
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 12 / 02 / 2022.
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