नुक्ते के दखल से रार–प्यार/ मुसाफ़िर बैठा
आप मेरा प्रिय होकर भी
जब जब, जहां जहां अवैज्ञानिक सोचेंगे
जो मुझे नितांत अप्रियकर है
मैं बेशक, वहां वहां दम भर नुक्ता लगा आऊंगा
यह सोचकर कि
मेरे इस दखल की मात्रा के असर में
आपकी अवैज्ञानिकता में कुछ तो
मात्रात्मक कमी आएगी।