नीड़ का निर्माण
बीज बनकर नीड़ में तुम,
वृक्ष का निर्माण कर दो ।।
व्यथित ब्याकुल वीथियों में ,
प्यार का संचार कर दो ।।
बचपने से राजकुल में ,
जी रहे थे शान बनकर ।
आज इस अकिंचन के घर में,
ज्योति बनकर प्राण भर दो ।।
बीज बनकर———————-
सौम्य की गरिमा से अपनी ,
नेह को ब्याकुल बना दो ।
चन्द्रमाँ की चांदनी सा,
घर मेरा उज्ज्वल बना दो ।
जिंदगी की राह में अब,
मार्ग कितना भी कठिन हो ।
जीत लें हंसकर सभी हम,
मुझमें वह उल्लास भर दो ।।
बीज बनकर नीड़ में तुम,
वृक्ष का निर्माण कर दो।।