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1 Jan 2018 · 1 min read

*नील गगन के तले*

इस नील गगन के तले
मेरा देश यह फुले फले।।

परिपूरित हों सभी दिशाएं
तब — जाके– शाम –ढले ।।

दिखे ना कोई अंध्यारा कोना
हो– ज्योति– का– पुंज घने ।।

बिखरें प्रातः मधुकन आकर
हरियाला– वितान—- हलें ।।

गूंजे किरणे ख़ुशी की हर घर
हों— सबके— गात— भले ।।

व्यापे क्षुदा अगिन ना किसी को
हर –जन –का –पोष —पले ।।

उठाए सवेरे फिर ले गलबांही
मिलकर—- के– सभी -चले।।

रोज मनाएं लोग दिवाली
सर्बत्र दीपों की माल जले।।

गाये बुलबुल मधुर गीतिका
ना कोई दीन रहे विकले ।।

Language: Hindi
Tag: गीत
221 Views
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