नीले गगन के तले
***** नीले गगन अशके तले *****
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सब छोड़ कर बैठे नीले गगन के तले
दिल हार कर बैठे नीले गगन के तले
चलती पूर्वाई के साथ न बह सके हम
सब गवां कर बैठे नीले गगन के तले
दगाबाज़ दुनिया का भरोसा क्यूँ करें
सब हार कर बैठे नीले गगन के तले
मुस्कुराहटों का कोई मोल क्या समझे
गम छिपा कर बैठे नीले गगन के तले
ज़िन्दगी कभी मिलती नहीं है दुबारा
जीवन खोकर बैठे नीले गगन के तले
सुखविन्द्र तारीकियों में सदा डूबा रहा
द्वार ढो कर बैठे नीले गगन के तले
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)