नीली स्याह के निशां थोड़े धुंधले पड़े है
नीली स्याह के निशां थोड़े धुंधले पड़े है
ज़िन्दगी का बोझ तले मजदूर शहर छोड़ चले है
जारी इस शतरंज के खेल में
मजदूर एक बार फिर से छले है
भागीदारी निभाने वाले स्तंम्भ
टूट कर बिखरे हुए मूर्छित मिले है
भूपेंद्र रावत
20।05।2020