जहां आपका सही और सटीक मूल्यांकन न हो वहां पर आपको उपस्थित ह
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
बदलते दौर में......
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,
पितृपक्ष में पितरों का महत्व होता हैं।
काश! हमारा भी कोई अदद मीत होता ।
Let us create bridges to connect people beyond boundaries,
सफलता कड़ी मेहनत और दृढ़ता की शक्ति में विश्वास करती है। अक्
चंद सवालात हैं खुद से दिन-रात करता हूँ
नशा त्याग दो
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,