नीर
बात बेशक हो कोई गंभीर,
रोक लेता है नर नैनों से नीर।
होने न देता भाव जग जाहिर,
पी जाता है घूँटभर आया नीर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
बात बेशक हो कोई गंभीर,
रोक लेता है नर नैनों से नीर।
होने न देता भाव जग जाहिर,
पी जाता है घूँटभर आया नीर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)