नीर वेदना से बहता है
गीत
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नीर वेदना से बहता है
नीरस में भी रस मिलता है ।।
जीवन सतत सरस बहता यह
भले दूरियॉ हों प्रियवर से
विरहा मन कविता कहता यह
सुमिरन जुड़ा रहे मनहर से
तब सुंदर लगने लगता है ।
नीरस में भी रस मिलता है ।।१!!
चाहे तपस भले कितनी हो
जख़्मों से रिश्ता बन जाता
चाहे अगन लगी कितनी हो
विरहा गीत मधुर, मन गाता
भले तपन से मन तपता है
नीरस में भी रस मिलता है ।। 2
डॉ रीता