#ग़ज़ल-22
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
वज़्न-212-212-212-2
हर क़दम हर जगह मैं चलूँगा
रूप तू आइना मैं बनूँगा/1
आँख भी बंद कर देखिएगा
ख़्वाब में हर कहीं मैं दिखूँगा/2
तू लहर की तरह आइएगा
तीर बन शौक़ से मैं मिलूँगा/3
ग़ैर हैं छोड़ते जो हमें वो
नासमझ ही उन्हें पर कहूँगा/4
हर पहर हर घड़ी मौज़ मैं हूँ
देखके मैं तुझे ये कहूँगा/5
नीम है तू मगर है दवा भी
रोग हूँ मैं लिए ना टलूँगा/6
शाम है है सुबह भी तुझी से
नाम हर शै तेरे ही लिखूँगा/7
-आर.एस.’प्रीतम’
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