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17 Feb 2017 · 1 min read

नींद

आँखें मेरी खुली हुई,
पलकों की झालर के पीछे से
एकटक झाँकती हुई,
स्याह रात का काजल लगाये,
रंग बिरंगे सपनों की सौगात सजाये,
तुम्हारे इंतज़ार मे आँचल बिछाये,
तुमको ही तुमसे चुराये
अपने दिल में बंदकर,
बैठी हूँ सबसे छुपकर,
तुम्हारे पैरों की आहट को सुनने,
एक एक पल, हर क्षण, गिनते गिनते,
बुत सी बन गयी मैं,
मानों पथराई सी!
नींद भी रफ़ूचक्कर है,
बैठी होगी कहीं छिपकर,
मेरी आँखों से ओझल
एक तुम भी
और दूजी नींद,
इधर उधर विचरण करते,
सपनों का मेरे मर्दन करते
हुये, दोनों हरजाई,
कभी हाथ ना आते,
कोसों मुझसे दूर भागते,
काश तुम मेरी आँखों में
नींद बनकर बस जाते!
बंद आँखों में मेरी
नींद बन, हमेशा
हमेशा को समा जाते।।

©मधुमिता

Language: Hindi
500 Views
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