नींद में गहरी सोए हैं
नींद में गहरी सोए हैं
मोहमाया में खोए हैं
काल की दस्तक सुनकर भी
ज़िन्दगी तुझको ढोए हैं
कल्पनाओं के विस्तार में
उम्रभर ही हम रोए हैं
नफ़रतों के दौर में यारो
ख़ार ही अक्सर बोए हैं
झूठ था ये सदियों से ही
पाप गंगा में धोए हैं
—महावीर उत्तरांचली