नींद आती है सोने दो
नींद आती है सोने दो
जगाते स्वप्न बेचैनी से
भूला के इन सारे क्षणों को
चैन के साये में खोने दो।
इक नया कल फिर से आएगा
नई चुनौतियाँ, उम्मीद लिये
कर्तव्यपथ पर मुझको चलना
आशा,विश्वास भीतर भरना
ऊर्जा फिर नई भर जाएगी
चमत्कार वो दिखलाएगी
बोझिल होती साँसे कभी
अनचाहे दर्द,थकन से यूँ
विस्मृत कर व्रण अब सारे
नव उत्साह संग चलना होगा
बोझिल सी श्वासों में फिर से
स्फूर्ति को यूँ भरना होगा
चलते हुये कभी थमना भी
अनूठे पल में सँवरना है
मद्धम निशि यूँ बीत जायेगी
नव्य भोर,इक आस लायेगी।।
✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक