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22 Feb 2024 · 1 min read

नींद आती है सोने दो

नींद आती है सोने दो
जगाते स्वप्न बेचैनी से
भूला के इन सारे क्षणों को
चैन के साये में खोने दो।

इक नया कल फिर से आएगा
नई चुनौतियाँ, उम्मीद लिये
कर्तव्यपथ पर मुझको चलना
आशा,विश्वास भीतर भरना

ऊर्जा फिर नई भर जाएगी
चमत्कार वो दिखलाएगी
बोझिल होती साँसे कभी
अनचाहे दर्द,थकन से यूँ

विस्मृत कर व्रण अब सारे
नव उत्साह संग चलना होगा
बोझिल सी श्वासों में फिर से
स्फूर्ति को यूँ भरना होगा

चलते हुये कभी थमना भी
अनूठे पल में सँवरना है
मद्धम निशि यूँ बीत जायेगी
नव्य भोर,इक आस लायेगी।।

✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक

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