निहारा
सुंदर सलोनी तेरी सूरत
मुझको कितना भाती है।
बसकर मेरी आंखों में
मोती बन बह जाती है।
फूलों जैसी मुस्कान तेरी
मेरे सारे गम भुलाती है।
जब तू आकर लिपटें मुझसे
मेरी रूह भी खिल जाती है।
नन्हें – नन्हें पैरों से तू
आंगन में खेलें आंख मिचौली।
पलभर भी ओझल होती तू
तो धड़कन मेरी रूक जाती है
माथे पे तेरे कुमकुम की बिंदी
लगती जैसे चाँद सितारा
मेरे दिल का टुकड़ा है तू
“मेरी बिटिया, मेरी निहारा”
– डॉ. मुल्ला आदम अली
https://www.drmullaadamali.com