आरज़ू ना इज़हार।
अब तक तो कभी हुई ना मुझे,
दुआ है की मोहब्बत हो जाये,
जज़्बात जगे कोई दिल में ऐसा,
किसी हसीन की सोहबत हो जाये,
कोई मिले राहों में ऐसी,
जो दिल पे दस्तक दे जाये,
हो सूरत में उसकी मासूमियत ऐसी,
हर शह नतमस्तक हो जाये,
बोले कभी ना मुँह से कुछ भी,
पर बातें करे वो इशारों में,
भले ना रोज़ नज़र आए मुझे,
पर हर पल दिखे वो नज़ारो में,
ना चाहत उसको पाने की,
ना शर्त कोई रिश्ता निभाने की,
दुआ है की ताउम्र दिल में उसके,
छाप रह जाये इस दीवाने की,
नज़ाकत से झुकी हो नज़रें जिसकि,
भा जाये जो अपनी शोखी से,
कुदरत करे कोई साजिश ऐसी,
कि हो दीदार उस अनोखी से,
ना आरज़ू कोई इज़हार की,
ना तमन्ना लेने की बाहों में
जहां भी रहे वो आबाद रहे,
हर ख़ुशी हो उसकी राहों में l
कवि- अम्बर श्रीवास्तव