निश्छल प्रेम
मानसरोवर साहित्य अकादमी दैनिक प्रतियोगिता
दिनांक 16/11/2023विषय,, निश्छल प्रेम
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निश्छल प्रेम श्री कृष्ण का
लीजै हृदय लगाय।
प्रेम कीजिए राधेय बनकर
निश्छल प्रेम हो जाय।।
निश्छल प्रेम भक्ति भाव में
मगन हुए जगदीश ।
लिख देते हैं भाग्योदय प्रभु
प्रसन्न हो जाते हैं ईश।।
निश्छल प्रेम भक्ति भाव में
मीरा हुई मगन।
सुध बुध सब बिसरा कर ,
प्रेम प्रीत विह्वल।।
निश्छल प्रेम प्रतीति से
विनय करे सम्मान।
तेहि के कारज सकल शुभ
सिद्ध करें भगवान।।
निश्छल प्रेम गोपियन करे
नटवर नचाये नाच।
मधुवन में जा गोपियन से
श्रीकृष्ण रचाये रास।।
निश्छल प्रेम शबरी की
प्रभू पहूंचे द्वार।
जुठन बेर शबरी दियो
प्रेम पायो राम।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग