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26 Mar 2018 · 1 min read

निश्चल क़दम

ठहरा है जो अपने शांत भाव से ,
शांत सरोवर कुछ कमल लिए ।

अभिलाषाएँ कुछ कर पाने की ,
कुंठाएं नही न चल पाने की ।

सींच रहा अपने मन आँगन को ,
अंजुली भर जल वो लिए हुए ।

टकराएंगी मेरी लहरे मेरे साहिल से ,
आएगा कोई हलचल का भाव लिए ।

सहज रहा है वो बूंदे अम्बर की ,
“निश्चल” से अपने कदम लिए ।
…. विवेक दुबे”निश्चल”@..
रायसेन

Language: Hindi
1 Like · 228 Views
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