निशा कभी तो छटेगी
उदासी भरी निशा कभी तो छटेगी
खौफनाक अंधेरा कब तक मन को छलेगा
खुशियों से भरी मधुकिरण कभी तो दिखेगी
जो बिछड़ गए हैं राहों में एक दिन तो मिलेंगे
तूफानों से भरा यह मौसम कब तक विश्राम करेगा
राही ओ राही प्रेम रुपी गुलाब डगर में ही खिलेंगे
जकड़ी जंजीरे कब तक रुकेंगी
करकश तपन कब.तक तपेगी
कश्ती भले ही कागज की हमारी
पर एक दिन सागर पार करेगी
Mangla kewt from hoshangabad mp