निशान एक ही रहे… (पंचामर छंद)
संयोजन :- जगण_ रगण_ जगण_ रगण_ जगण_ गुरु
गणावली -: 121_ 212_ 121_ 212_ 121_ 2
निशान एक ही रहे त्रि रंग संविधान में।
सचक्र है सहेजते व देख आसमान में।।
निशान एक ही रहे…
जवान जिस्म जान दे करें सलाम आन में।
सजीन्दगी करे निवास ये हरेक जान में।।
निशान एक ही रहे…
तना रहे शहीद भाल जा लड़े मशान में।
सदा दिखे सधा हुआ सकर्मठी जवान में।
निशान एक ही रहे…
प्रतीक भारती समस्त पूजता किसान में।।
सचेत आन बान शान और तेज ध्यान में।
निशान एक ही रहे…
अकाश चूम ले खड़े नए-नए उड़ान में।।
हसीन आरज़ू यही खिला रहे जहान में।।
निशान एक ही रहे…
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २१/०१/२०२३)