निवेदन
जरा ठहरो
आहिस्ता चलो, पायल न बजाओ, कोई सुन लेगा,
तुम्हरी महकी हुई सांसो से कोई खुशबू चुन लेगा,
अरे हर किसी के सामने बेपर्दा न हुआ करो तुम,
तुम्हारे नाम का सपना कोई और भी बुन लेगा |
और एक बात,
माथे की बिदिंया को रात में जरा ढक लिया करो,
उस बेचारे चांद को चुनौती भी तो न दिया करो,
उसको तो पहले ही दागदार होने का गम रहता है,
मुखड़े पर बिंदी लगाकर उसे न शर्मिंदा किया करो |
जाओ लेकिन,
आंचल लहराता बहुत है तुम्हारा इसे थाम लेना जरा,
जाने से पहले आंखो के मुझको दो जाम देना जरा,
सुना है ख्वाब भी जरूरी होते है जीवन के लिये,
सोने से पहले बस एक बार मेरा नाम ले लेना जरा ||
स्वरचित
अमित मौर्य
+91-7849894373