Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2020 · 1 min read

निर्भीक निवासिने

किसी शाम को जब वो बहू अपनी सास को मुझे दिखा के चलने लगी तो मैने यूँ ही पूँछ लिया
‘ आप कहां रहती हैं ? ‘

वो थाने का नाम लेते हुए बोलीं
‘ फलां थाने के ठीक पीछे , यों समझें कि थाने की दीवार हमारे घर से सटी हुई है । ‘
मैंने कुछ संकोच प्रदर्षित करते हुए उनसे पूंछा
‘ तब तो आप लोगों को कोई डर नहीं लगता हो गा ।’
मेरे प्रश्न पर वो खिलखिला कर हंस पड़ीं ,
और बोलीं
‘ अरे साहब हमें डर कैसा , डरते तो पुलिस वाले हैं – जब पत्थर पड़ते हैं तो थाने वाले सबसे पहले वही लोग थाना छोड़ कर भाग जाते हैं , पत्थर हमारे घर में गिरते रहते हैं हमलोग चिल्लाते हैं , 100 no. को फोन लगाते हैं , कुछ नहीं होता , फिर थाने जा कर देखते हैं तो थाना खाली मिलता है । फिर कुछ देर बाद दूसरी वर्दी वाली पुलीस ( ? RAF ) आती है तो पत्थर रुकते हैं ।’
मैं हथप्रभ भाव से उनका मेरे कक्ष से बहिर्गमन निहारता रहा , उनका निर्भीक आत्मविश्वास मेरे संशय युक्त भय पर भारी पड़ रहा था ।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 2 Comments · 425 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पराठों का स्वर्णिम इतिहास
पराठों का स्वर्णिम इतिहास
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
"जरा सोचिए"
Dr. Kishan tandon kranti
हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
Sanjay ' शून्य'
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
Shekhar Chandra Mitra
कभी - कभी सोचता है दिल कि पूछूँ उसकी माँ से,
कभी - कभी सोचता है दिल कि पूछूँ उसकी माँ से,
Madhuyanka Raj
प्रकृति एवं मानव
प्रकृति एवं मानव
नन्दलाल सुथार "राही"
चांदनी की झील में प्यार का इज़हार हूँ ।
चांदनी की झील में प्यार का इज़हार हूँ ।
sushil sarna
तुम्हारा हर लहज़ा, हर अंदाज़,
तुम्हारा हर लहज़ा, हर अंदाज़,
ओसमणी साहू 'ओश'
सब पर सब भारी ✍️
सब पर सब भारी ✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मन डूब गया
मन डूब गया
Kshma Urmila
नारदीं भी हैं
नारदीं भी हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दिल पे पत्थर ना रखो
दिल पे पत्थर ना रखो
shabina. Naaz
कृष्ण चतुर्थी भाद्रपद, है गणेशावतार
कृष्ण चतुर्थी भाद्रपद, है गणेशावतार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
_सुलेखा.
*नयी पीढ़ियों को दें उपहार*
*नयी पीढ़ियों को दें उपहार*
Poonam Matia
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है
प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है
'अशांत' शेखर
मिल लेते हैं तुम्हें आंखे बंद करके..
मिल लेते हैं तुम्हें आंखे बंद करके..
शेखर सिंह
मैं ना जाने क्या कर रहा...!
मैं ना जाने क्या कर रहा...!
भवेश
You cannot feel me because
You cannot feel me because
Sakshi Tripathi
!! ये सच है कि !!
!! ये सच है कि !!
Chunnu Lal Gupta
मौसम कैसा आ गया, चहुँ दिश छाई धूल ।
मौसम कैसा आ गया, चहुँ दिश छाई धूल ।
Arvind trivedi
*अहिल्या (कुंडलिया)*
*अहिल्या (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
Atul "Krishn"
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
■
■ "मान न मान, मैं तेरा मेहमान" की लीक पर चलने का सीधा सा मतल
*Author प्रणय प्रभात*
अच्छे   बल्लेबाज  हैं,  गेंदबाज   दमदार।
अच्छे बल्लेबाज हैं, गेंदबाज दमदार।
दुष्यन्त 'बाबा'
वीर-जवान
वीर-जवान
लक्ष्मी सिंह
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो
Dr fauzia Naseem shad
Loading...