निर्भया
मेरी यादों के पन्ने ना दिखाओ यारों
तेरी आंखें नम होने से बच जाएगी
मुझे भूल जाओ मेरी यादों के साथ
सुलगती चिंगारी, उन अंगारों के साथ
जिसमे जल कर मर गई मेरी रूंह
तड़पते रहें, मेरे जिस्म मेरी जां
चीखती रही मै सुलगती रही
मेरे मालिक भी मुझपें रहम ना किए
मेरी आंखों से बारिश हुए खून के
मेरी चाहत मिले खून के लब्ज़ में
आज आयी थी कल की सितम बन गई
दुनियां वालो के नज़रों में ज़ख्म बन गई
उन सितम करने वालो से पुछों अगर
कि देकर ज़ख्म उनको क्या है मिला
अबला हूं तो क्या,कोई बला नहीं
ऐसा करके किया कोई भला नहीं।