निर्भया को न्याय
निर्भया को न्याय
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दिल में खुशी, आँखों में चमक
चारों दरिंदे गए हैं फांसी लटक
कानूनी लंबी लड़ाई लड़ी मगर
न्याय जीता है, फूला माँ जिगर
जघन्य अपराध के दोषी थे सब
मृत्यु अधिपत्र बढवा रहे थे सब
न्याय है जीता,अपराध हार गया
न्यायालय पर विश्वास गहरा गया
मन में शंका थी क्या होगी फांसी
निर्भया को मिलेगी न्याय झांकी
औरों को भी मिल जाएगी सीख
नारी इज्जत करना जाएंगे सीख
स्वर्ग में रोती निर्भया खुशी आँसू
चढ़ें हैं फांसी आबरू लूटेरे धांसू
चोर सिपाही का खेल खेला गया
झूठी दलीलों को खूब झेला गया
तीव्र जो हो ये न्यायिक व्यवस्था
ना आ पाएगी फिर ऐसी अवस्था
सुखविंद्र अब है ये समय की मांग
बालात्कारी जाएं तुरन्त सूली टांग
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)