Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Mar 2022 · 3 min read

निर्धनताक गोद मे प्रतिभाक बीज

अहाँ सबहक बीच कथा ” निर्धनताक गोद मे प्रतिभाक बीज” भाग २—-आरंभ
पंडित काका, हुनकर दुखक विवरण कतेक करु,छी हम लेखक मुदा अश्रु नयन संगे लेखनी हाथ में लय लिख रहल छी। एतवे नय पंडित काका अपन किछु जमीन बेचि कय कन्यादान केलाह, कन्यादानक उपरान्त
अभिषेक जे आव मैट्रिकक परीक्षार्थी छलाह,राति क पढ़वाक हेतु अभिषेक अपन बाबुजी संगे सूतैत छलाह डिबिया बगल मे राखि कय सुतैत छलाह ताकि जागि कय पढ़ि सकैथ।एहि तरहेँ अपन गरीबी सँ लड़ैत मेहनत खुब मन सँ करय लगलाह,जखन अभिषेक राति में जागि पढ़ैत छलाह त बगल मे निन्द मे हुनकर बाबुजी जे भरि दिन धूप मे
काज में लीन छलाह कुहरय लगैत छलाह ई कुहरनाय सुनि बाबुजी के जाँत पीच कय पुरा शरीर कय ठेही उतरबाक कोशिश करैत छलाह। पंडित काका प्रसन्न छला त अपन बेटा सँ जे आजुक युग मे भाग्यशाली के एहन सपूत भेटैत अछि। मैट्रिकक परीक्षा फल घोषितभेल अभिषेक अपना स्कूल मे सबसँ बेसी अंक लय उत्तीर्ण भेलाह मुदा होइत अछि वो जे पूर्व में विधाता लिख देने
रहैत छथि पंडित काका रोगग्रस्त भ गेलाह आऽ ओछायन पकैरि लेलाह ।आव अभिषेक पर सबटा भार आवि गेलनि ,अभिषेक छोट मोट ट्यूशन पढ़ावैयत बाबुजी के दवा पर खर्च करैत ऐनप्रकारेन जीवन निर्वाह करैत छलाह।एक दिन अभिषेकक मझिला काका जिनका खेत में पंडित काका काज करैत छलाह, पंडित काका जे ओछायन पर परल अपन पीड़ा सँ लड़ैत छलाह हुनका ओछायनक बगल मे आवि मझिला काका पंडित काका सँ पुछलखिन—–कि रौ ,केहन मन छौ?ई सुनैत पंडित काका बजलाह—कि रहत भैया,आब त हिम्मत हारि चुकल छी,ई कहैत पंडित काका एकाएक चिन्तित मुद्रा मे बजलाह—-भैया जौं हमरा किछु भय जाय,हम नय रही तँ हमरा अभिषेक के कनि देखबय ई बजैत पंडित काका भोखासी दय कानय लगलाह,मझिला काका चुप करवैयत बजलाह —–तू चिन्ता जूनि कर,सब हेतैय।
ठीक दू दिनक बाद पंडित काका के हालत दयनीय भय गेलनि,गोदान वैतरणी सब भेल,बेटी ऐलनि। पंडित काका एकदम मरणावस्था मे भय गेला मुदा अन्दर सँ अखनो सब बुझैत छलाह,बगल मे बैसल अभिषेकक हाथ पकड़ि लेलाह आ आँखि सँ अश्रु धारा बहय लगलनि,अभिषेक बाबुजी के ई देखैत जोर सँ कानय लगलाह कि तावेत मे अभिषेक देखैत छथि कि बाबुजी अहि दुनिया के छोड़ि चुकल छथि। कन्नारोहट सँ पूरा वातावरण ओही ठामक भावुक भय गेल। अभिषेकक काका आ टोल पड़ोसक लोग अभिषेक के चुप करा क्रिया कर्म संपन्न भेल। श्राद्धक उपरान्त अभिषेक अपन विधवा माँ के सेवा में तल्लीन भय कार्य में लागि गेलाह ,एक दिन मझिला काका अभिषेकवा अभिषेकवा आवाज दैत तामस मुद्रा मे ऐलाह आ अभिषेक सँ कहैत छथि——हे रौ अभिषेकवा,बाप के क्रिया कर्म कय ले ले आ आँखि मुइन कय रहि गेलें,भेंटो तक नय केलें ,गायक पाय आ भोजक खर्चा ई सबहक हिसाब कहिया करवें?
काका आब तँ अहाँ सभ जे जेना कहब हम करब ई कहैत अभिषेक असोरा पर काका के पीढ़ी दय बैसय लेल आग्रह केलाह।बगल मे भैंसुरक लाज रखैत हुनकर माँ घूँघट में ठार छली। काका बजलाह——–देख अभिषेक,बाप तोहर छलौ त हम ई सोचैत छलौं जे कमोबेस खेत मे एकटा मजदूरक काज कय दैत अछि ताहि सँ देब लेब में हिचकिचाहट नय छल मुदा आब,की बीच मे अभिषेक कहला——काका हमहु काज कय देब ई सुनैत काका कहला —जे देख अभिषेक,तोरा सँ हेतौ कि नय कारण जे तू कहियो केने नय छै,मुदा एकटा उपाय अछि,जौं तू हमरा भूतही गाछी के जे दू कट्ठा जमीन छौ दय दे सब चुकता भय जेतौ ई सुनैत अभिषेक काका सँ कहला—– काका हमरा बस वेहाटा दू कट्ठा जमीन अई वोहो जौं अहिं के दय देब त हम कि खायब आ कोना माँ के राखब?हम त सोचैत छी ओही के जोईत कोयरि कय उपजावी आ संगे पढ़ाई के जारी राखि,ई सुनैत काका तमसा कय उठला आ अभिषेक के कहैत छथि—–अभिषेकवा तोरा कि होइत छौ ,पढ़ि कय तू कलक्टर बनि जेबे आ बड़बड़ाईत चलि गेलाह।
(शेष भाग 3 मे)

Language: Maithili
1 Like · 195 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*मैं और मेरी तन्हाई*
*मैं और मेरी तन्हाई*
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
इक्कीस मनकों की माला हमने प्रभु चरणों में अर्पित की।
इक्कीस मनकों की माला हमने प्रभु चरणों में अर्पित की।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
रामभक्त हनुमान
रामभक्त हनुमान
Seema gupta,Alwar
चेहरा सब कुछ बयां नहीं कर पाता है,
चेहरा सब कुछ बयां नहीं कर पाता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिंदगी बिलकुल चिड़िया घर जैसी हो गई है।
जिंदगी बिलकुल चिड़िया घर जैसी हो गई है।
शेखर सिंह
*इश्क़ से इश्क़*
*इश्क़ से इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
रामपुर में थियोसॉफिकल सोसायटी के पर्याय श्री हरिओम अग्रवाल जी
रामपुर में थियोसॉफिकल सोसायटी के पर्याय श्री हरिओम अग्रवाल जी
Ravi Prakash
*रिश्ते*
*रिश्ते*
Ram Krishan Rastogi
जिसनै खोया होगा
जिसनै खोया होगा
MSW Sunil SainiCENA
23/210. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/210. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कोहराम मचा सकते हैं
कोहराम मचा सकते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
होली
होली
Dr Archana Gupta
जब लोग आपसे खफा होने
जब लोग आपसे खफा होने
Ranjeet kumar patre
23)”बसंत पंचमी दिवस”
23)”बसंत पंचमी दिवस”
Sapna Arora
How do you want to be loved?
How do you want to be loved?
पूर्वार्थ
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ख्याल तुम्हारा आता है जब रात ये आधी लगती है*
ख्याल तुम्हारा आता है जब रात ये आधी लगती है*
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
* वर्षा ऋतु *
* वर्षा ऋतु *
surenderpal vaidya
कुछ नमी अपने साथ लाता है ।
कुछ नमी अपने साथ लाता है ।
Dr fauzia Naseem shad
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वक़्त हमें लोगो की पहचान करा देता है
वक़्त हमें लोगो की पहचान करा देता है
Dr. Upasana Pandey
"मेरी नज्मों में"
Dr. Kishan tandon kranti
प्राण प्रतिष्ठा
प्राण प्रतिष्ठा
Mahender Singh
इज़राइल और यहूदियों का इतिहास
इज़राइल और यहूदियों का इतिहास
अमित
रुक्मणी
रुक्मणी
Shashi Mahajan
चुप रहो
चुप रहो
Sûrëkhâ
Let's Fight
Let's Fight
Otteri Selvakumar
संघर्ष भी एक खुशी है
संघर्ष भी एक खुशी है
gurudeenverma198
चाहती हूँ मैं
चाहती हूँ मैं
Shweta Soni
"दिल की तस्वीर अब पसंद नहीं।
*प्रणय*
Loading...