निर्णय
बस आकर स्टाप पर रुकी
कालेज के लड़के
कुछ लड़किया भी
रोज की तरह आज भी बस में चढ़े
अगर कुछ नहीं था जो कल की तरह
वो था मौसम
मौसम पूरी तरह से बदल चुका था
काली घटायें लदी थी, आसमान पर
मूसलाधार बारिश भी हो रही थी
बस में खिड़की के पास
उन्नीस-बीस साल की नवयुवती
रह-रहकर खिड़की खोल दे रही थी
खिड़की खुल जाने से पानी बारिश का
अंदर आना लाजिमि ही है
उसे बार-बार ऐसा करते देख
बगल मे बैठी औरत
जो शक्ल से चालीस की लग रही थी
लेकिन उम्र अभी तीस की ही थी
बोल पडी, बहनजी
खिड़की अभी बंद ही रहने दो
मत खोलो भीग जाओगी
अगर पानी पकड़ लिया तो
जाओगी अपना इलाज कराने
डाक्टर के पास
और कोई जरुरी नहीं तुम ठीक ही हो जाओ
मुमकिन है कि ये इलाज भी
बारिश की बूंदों की तरह
तुम्हारे जिस्म से खेलता हुआ
तुम्हे और भी जर्जर बना दे
फिर खीली धूप भी तुम्हे
हैवान ही नजर आयेगी
अब निर्णय तुम्हारे हाथ में है
खिड़की खोलो या बंद करो!!!