निर्झर
ऊपर से नीचे
गिरता हूँ।
कौन रोताहै-
कौन हंसता है,
बिन देखे बिन रुके-
सीधे चल पड़ता हूँ।
अनंत कर्म पथ का-
गूंजता स्वर हूँ,
हाँ मैं निर्झर हूँ।
एक बार जो-
राह चुन लूं,
उससे मुड़ता नहीं-
पर्वत हो या खाई,
मैं कभी झुकता नहीं।
अटल हूँ विश्वासों में-
जीत हूँ श्वांसों में,
उदासी की अंधेरी में-
उत्साह का दिनकर हूँ।
हाँ मैं निर्झर हूँ।।