” निरोग योग “
” निरोग योग ”
भाग दौड़ भरी जिंदगी ने छीना
मनुष्य बेचारे का चैन, सुख, अमन
मन को शांति मिलती है योग से
यही तो है हमारे जीवन का आधार,
सुविधानुसार नर तूं समय निकालकर
दिनचर्या में योग को अवश्य अपना
बना जीवन अनमोल को योग से निरोग
हो नीरस मत कर इसको तूं बेकार,
योग, आसन या कहलो तुम प्राणायाम
चाहे पुकारो तुम नेति क्रिया या ध्यान
केवल नाम ही हैं ये सब भिन्न भिन्न
हैं ये योग के ही अनगिनत प्रकार,
मीनू कहे दीर्घायु का घटक महत्त्वपूर्ण
आलसी जीवन में अत्यंत आवश्यक
सब जग करेगा साथ में निरोग योग
स्वस्थ तभी जाकर बनेगा संसार।