निराशा हाथ जब आए, गुरू बन आस आ जाए।
निराशा हाथ जब आए, गुरू बन आस आ जाए।
गहन तम तोम जब छाए, गुरू बन ओज आ जाए।
फँसे जब नाव धारा बिच, गुरू पतवार बन जाए।
हमारा पथ प्रदर्शक बन, हमें सन्मार्ग दिखलाए।
© सीमा अग्रवाल
निराशा हाथ जब आए, गुरू बन आस आ जाए।
गहन तम तोम जब छाए, गुरू बन ओज आ जाए।
फँसे जब नाव धारा बिच, गुरू पतवार बन जाए।
हमारा पथ प्रदर्शक बन, हमें सन्मार्ग दिखलाए।
© सीमा अग्रवाल