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27 May 2023 · 1 min read

निराली है तेरी छवि हे कन्हाई

निराली है तेरी छवि हे कन्हाई

निराली है तेरी छवि हे कन्हाई
वंशी की धुन हमें दे सुनाई

हे नंदनंदन हे मुरलीधर
हम तुम पर जाएँ बलिहारी

केवट बना हमें पार उतारो
चरणों की प्रभु धूलि बना लो

हम बालक नादान हैं मोहन
संकट के प्रभु बादल हर लो

तेरे चरणों से प्रीती हमको
गिरधर पावन कर दो हमको

निर्धन को प्रभु धन का वर दो
हे मोहन भक्ति का रस दो

ज़र्ज़र होती काया मेरी
सुधि ले लो मनमोहन मेरी

मुश्किल की है घड़ी है आई
तन में प्राण नहीं रे कन्हाई

दुर्बलता से मुक्ति दे दो
मन को मेरे पावन कर दो

अपने दरश दिखा दो मुझको
हे बरसाने के कृष्ण मुरारी

जब प्राण तन से निकलें
तुम पास हो मुरारी

मोहित हो गया हूँ मैं
तेरी मनमोहक छवि पर

सुद्बुध मेरी बिसरी
तुझे अपने करीब पाकर

मुझे मिल गया किनारा
मोक्ष की घड़ी है आई

निराली है तेरी छवि हे कन्हाई
वंशी की धुन हमें दे सुनाई

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Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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