निरपराध सजा (सत्य घटना)
निराधार आरोप पर सजा हो गई
जेल की कोठरी में जवानी गुम हो गई
मेरी गरीबी ही मेरा कसूर था
इल्जाम थे संगीन बलात्कार का निराधार आरोप था
ऊपर से एससी एसटी एक्ट था
छुआ तक नहीं था कभी मैंने जिसके जिस्म को
द्वेष बस फसा दिया था बलात्कार में
मौका ए वारदात गवाह है सब झूठे थे
मेरी गरीबी से पुलिस प्रशासन न्याय देव सभी रूठे थे
जेल प्रशासन कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने
इंसाफ के लिए अपील लगाई
जवानी निकल गई 20 साल बाद हुई मेरी रिहाई
असली अपराधी कौन हैं
20 वर्ष पुरानी घटना पर आज का इंसाफ मौन है
पुलिस संगठित अपराधी बेगुनाहों को फंसा देते हैं
आर्थिक स्तिथि अज्ञानता विधिक सलाह का अभाव
बेगुनाहों को फंसा देते हैं
जमानती अपराध पर भी
बरसों से जेलों में पड़े हैं
लोग अपराध करने पर भी शान से खड़े हैं
आखिर कब सुधरेगी न्याय व्यवस्था ?
(नाम विष्णु, उम्र ४६वर्ष, घटना साल२०००,ग़ाम सिलावन, थाना महरौली, जिला ललित पुर, उत्तर प्रदेश, सूत्र नवदुनिया भोपाल दि३/३/२०२१)
सुरेश कुमार चतुर्वेदी