नियोजित शिक्षक का न्याय-निर्णय
जब न्याय में देरी होती है
वह अन्याय की श्रेणी होती है
तीन महीना बहस चला
चार महीनों से सुरक्षित है
कब आएगा फैसला ?
नियोजित शिक्षक भयभीत है ।
षड्यंत्र नेता कर रहे हैं
न्यायपालिका को तंग कर रहे हैं
खामियाजा शिक्षक भुगत रहे हैं
आर्थिक तंगी से क्षत -विक्षत हो रहे हैं ।
किस परिप्रेक्ष्य में आएगा फैसला
क्या गुल ख़िलाएग फैसला
बेसब्री से इंतजार है,
होगा क्या न्याय-निर्णय
सब शिक्षक-शिक्षिका बेक़रार हैं ।
मन में भय आशंका है
राजनेताओं की गड़बड़ मनसा है
और नही अत्याचारी हैं
ये तो भ्रष्ट- दुराचारी हैं
जनता ही क्या ?
इनसे परेशान कर्मचारी हैं ।
न्याय नही अन्याय होगा
जब कोई नही उपाय होगा
अब और सही न जाएगी
फिर रणभेरी बज जाएगी ।
सड़क से लेके संसद तक
फिर सेना हम सजाएंगे
अपने हक अधिकारों के लिए
पुनः आंदोलन कर जाएंगे ।
हुँकार भरेगा शिक्षक दल
कोई काम न आएगा सरकारी बल
नेताओं की कुर्सी हिल जायेगी
एक बार फिर पटना दिल्ली सील हो जाएगी ।
हम क्रांति के नवदूत हैं
परिणाम देने वाले अवधूत हैं
अलख जगा देंगे हम ,सबक सिखा देंगे हम ?
आगे चलने वाले अग्रदूत हैं ।
साहिल की क़लम आपके साथ…….?
Sahil.sinha3289@gmail.com