नियम
नन्हीं ओस के बूंदों के बीच
अलसाई नवजात कली
पूछती बगल की डाली से
ज़िंदगी क्यों कर मिली
डाली मूल तने से
अटपटे अनमने से
प्रश्न दुहरा देती है
तना जड़ से जड़ मिट्टी से
मिट्टी से वायु नभ जल
होते हुए यह प्रश्न
आकाश गंगाओं में
तैरता व्याप्त होता
है सम्पूर्ण सृष्टि में
कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दृष्टि में
क्या सृष्टि के नियम ?
यही उत्तर
उसी पथ से होता हुआ
पुनः उस कली को
पहुचने को ही है
डाली उससे कहने को ही है
कि आदम का अधम हाथ
तोड़ देता है उसे
उन्ही अधम हाथों
में से झांकती हुई कली
कह देती है डाली से
नश्वर संसार के नियमों को
मात्र पूरा करने के लिये
अजय मिश्र