निभाओ जिन्दगी भर
*गीतिका *
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निभाओ जिन्दगी भर जो किया वादा।
मुहब्बत की यही है एक मर्यादा।
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न घबराना कभी मजबूर मत होना,
कठिन ये वक्त होता है नहीं ज्यादा।
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छुपेंगी कब तलक मिथ्या कही बातें,
हकीकत से उठेगा एक दिन पर्दा।
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पराजय से नहीं विचलित हुआ था जो,
वही है लक्ष्य के हित आज आमादा।
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बढ़ाओ तुम कदम अपने जरा धीरे,
मगर मजबूत हो हर हाल ईरादा।
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हुआ करते विचारों में बहुत ऊँचे,
बिताते जिन्दगी हर हाल जो सादा।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हिमाचल प्रदेश)