नित्य नियम
सूरज का नित्य निकलना
चाँद का गगन में दिखना
कुछ कहता , कुछ समझाता है
सृष्टि चक्र चलता निरन्तर
मानव भी देह छोड़ता है
नित्य उदय , अवसान होता है ।
जो इस धरा पर आया है
उसको एक दिन तो जाना है
चाहे निर्धन हो या धनवान
एक ही रास्ता तय होता है
नित्य उदय , अवसान ृ है ।
मन में भावों का उदय होना
पक कर प्रेम में परिवर्तित होना
दिल में दिल का कैद होना
वहीं प्रेम जन्म लेता है
नित्य उदय , अवसान होता है ।
सिकंदर वीर पराक्रमी था
उसका जैसा न कोई नामी था
वो भी आया और चला गया
यही सृष्टि का विधान होता है
नित्य उदय , अवसान होता है ।
वो इमारतें सुन्दर जो दिखती है
प्रेम की अमिट कहानी गढ़ती है
एक दिन खण्डहर बन ढह जायेगी
वक्त का शिकार हर एक होता है
नित्य उदय , अवसान होता है ।
ये जवानी और चेहरे की रंगत
कब छोड़ दे तुम्हारी संगत
झुर्रियों और सिलवटों की सिकुड़न
चाँद भी रूप लावण्य खोता है
नित्य उदय , अवसान होता है ।