निठारी का दर्द
नित्य नई रचते रहते क्यों?
लाखों साजिश गहरी हैं?
गांव- गांव में शहर-शहर में ,
बने हुए जो प्रहरी हैं ।
सुधी जनों को पीड़ित करने,
का पाया अधिकार कहाँ से?
निर्दोषों के दण्ड को कैसे,
मिलता है आधार कहाँ से?
मूक बने हैं सभी यहाँ ,
क्यों देश की संसद मौन है?
किसके हाथों बिकी व्यवस्था?
आखिर संरक्षक कौन है?
नौकरियां और प्लाट बांटने,
का क्या रहा वजूद है?
जब मिटी रोशनी घर की है ,
भवितव्य नेस्तनाबूद है।।
उपादेयता है क्या उसके,
उपहारों के थैली की।
घोषित करने को दण्ड आयोजित,
होती हर इक रैली की