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14 Mar 2022 · 2 min read

@ निगोड़ी याद @

डा० अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त

@ निगोड़ी याद @

यादें छोड्ती कब् पीछा किसी का
कविताओं में और सपन में लेखन होता

मेरा तुमसे तेरा मुझसे उसका इसका
प्रेम छुपा न प्रेम दिखा क्या कभी किसी का ||

सदियां बीती आस न छूटी नैना भी अकुलाये
तेरी याद के विरहन पाखी बिन पर उड न पाये ||

लोक लाज मैं छोड सकी ना, घर सौ निकल न पाई ||
हठधर्मी ने तुमको रोका हमको रोका शरम हया ने

तुम भी तड्पे हम भी तड्पे क्या खोया संसार ने
सदियां बीती आस न छूटी नैना भी अकुलाये

तेरी याद के विरहन पाखी बिन पर उड न पाये ||
लोक लाज मैं छोड सकी ना, घर सौ निकल न पाई

रीति रिवाज के चलते साजन भर न पाये उडान
तीर प्रेम का कसा हुआ था फैली रही कमान

प्रेम के ये अन्जान सफर है , राहें भी अन्जान हैं
रीति रिवाज के चलते साजन भर न पाये उडान

सदियां बीती आस न छूटी नैना भी अकुलाये
तेरी याद के विरहन पाखी बिन पर उड न पाये ||

क्या खोया क्या पाया हमने , इसका कोई हिसाब नहीं
लेन देन की इस दुनिया दारी , इसकी कोई किताब नहीं

फिर भी लिख लिख हाये राम फिर भी लिख लिख मति गई मारी
सजन रे तुम कैसे जानो गे हाये राम सजन वा तुम कैसे मानोगे

तेरे प्यार के कारण हमपे , कितने उठे सवाल रे हय रामा रे रामा
अब तो सुन सुन पक गई मैं तो पक्की चिकनी ढाल रे हय रामा

सदियां बीती आस न छूटी नैना भी अकुलाये
तेरी याद के विरहन पाखी बिन पर उड न पाये ||

रीति रिवाज के चलते साजन भर न पाये उडान
तीर प्रेम का कसा हुआ था फैली रही कमान

सदियां बीती आस न छूटी नैना भी अकुलाये

यादें छोड्ती कब् पीछा किसी का

कविताओं में और सपन में लेखन होता

मेरा तुमसे तेरा मुझसे उसका इसका

प्रेम छुपा न प्रेम दिखा क्या कभी किसी का ||

Language: Hindi
1 Like · 258 Views
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