निगाहों ने तेरी जी भर के देखा न होता
“निगाहों ने तेरी जी भर के देखा ना होता”
————————————————
दिल मेरा किसी पत्थर की मूरत ही होता
गर इसमें तस्वीर ए यार ना होती तुम्हारी,
गहरा मेरे दिल पे अक्स तुम्हारा ना होता
निगाहों ने तेरी जी भर के देखा ना होता।
जिंदगी के सफ़र में यूं चलते चलते अकेले
जाने कब दिल तुम पर आकर के ठहरा,
दिल को इतना चैन कभी आया ना होता
निगाहों ने तेरी जी भर के देखा ना होता।
तेरे आने से प्रिय मेरे सूने से बैरागी मन में
रौनक ए बहार जाने लौट आई है फिर से,
मौसम ए बहार इस कदर आया ना होता
निगाहों ने तेरी जी भर के देखा ना होता।
सफर ए जिंदगी अब मेरा कटेगा खुशी से
साथ तेरा जो मुझको मिल गया जिंदगी में,
साथ जिंदगी का कभी ना हंसी इतना होता
निगाहों ने तेरी जी भर के देखा ना होता।
थामकर हाथ तेरा दिल रहा नहीं बस में
ना जाने इसे कबसे उल्फत तुमसे हुई है,
ये किस्सा ए उल्फत कभी बना ही ना होता
निगाहों ने तेरी जी भर के देखा ना होता।
इश्क होता है क्या और क्या है मोहब्बत
है क्या आशिकी और उल्फत के किस्से
इन एहसासों से दिल महरूम ही होता
निगाहों ने तेरी जी भर के देखा ना होता।
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट (मध्य प्रदेश)
स्वरचित और मौलिक