निगाहें
उनकी आंखों में उमड़ता सैलाब मैंने देखा था ,
उनकी आंखों में जन्नत का एहसास मैंने देखा था ,
लफ्ज़ों का इज़हार ग़ुम था , मगर बोलती निगाहों को
मैंने देखा था ,
दूरियां बहुत थीं , मगर रूहानी नज़दीकियों को
मैंने देखा था।
उनकी आंखों में उमड़ता सैलाब मैंने देखा था ,
उनकी आंखों में जन्नत का एहसास मैंने देखा था ,
लफ्ज़ों का इज़हार ग़ुम था , मगर बोलती निगाहों को
मैंने देखा था ,
दूरियां बहुत थीं , मगर रूहानी नज़दीकियों को
मैंने देखा था।