निकाह
निभा चुके तुझसे ऐ ज़िन्दग़ी! ,
अब मौत से निकाह हमारा होगा।
सजेगी रूह मेरी तब दुल्हन बनकर ,
पैरहन चांदनी सा तब हमारे होगा।
कहार उठायेंगे जब जनाज़ा हमारा ,
डोली से कम नहीं वो नज़ारा होगा।
तुम भी देखोगे वोह अनोखा मिलन ,
तुम्हारे अश्क़ों से भीगा दामन हमारा होगा।
चले जायेंगे हम गुज़रे हुए वक़्त कि मानिंद ,
फिर इस चमन में लौटना ना हमारा होगा।