निंदिया रोज़ मुझसे मिलने आती है,
निंदिया रोज़ मुझसे मिलने आती है,
तमाम रात चैन से गोद में सुलाती है
ख़्वाबों में मीठी मीठी यादें दे जाती है,
गम, तन्हाई, बेबसी यूं दूर हो जाती है
चांदनी रातों में सितारों का जमघट भी,
वो जुगनूएं भी मधुर संगीत सुनाती है
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”